वर्ष : (रजत दीक्षित)
एक वर्ष हूँ , अभी नव हूँ ।
उत्साह तरंग से परिपूर्ण हूँ ।।
छोटे छोटे पलों में तोड़ लेना मुझे ।
उन सारे पलों को जी लेना तुम ।।
हर रिश्ते में दम नया भरना तुम ।
रुकना मत, अगर हों आँखे नम ।।
उन सारे पलों को जी लेना तुम ।।
हर रिश्ते में दम नया भरना तुम ।
रुकना मत, अगर हों आँखे नम ।।
क्योंकि मैं भी बीत जाऊंगा ।
एक याद बन के रह जाऊंगा ।।
क्यों न उस याद को तुम सजा दो ।
जीवन को सार्थक और प्रफुल्लित बना दो ।।
एक याद बन के रह जाऊंगा ।।
क्यों न उस याद को तुम सजा दो ।
जीवन को सार्थक और प्रफुल्लित बना दो ।।
With this poem of mine, I wish you all the very best in this coming year, 2017.
It does not just become a number, but marks your life with numerous memorable events.
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